Sunday, November 3

धर्मशाला से सटे नारघोटा गाँव की लड़कियों महिलाओं और बच्चों को क्यों डर लगता है

नारघोटा गांव बना शराबियों और नशेड़ियों का गढ़!! - A Safe Haven for Alcoholics and Drug Addicts 
आपूर्ति के लिए पानी के टैंक

धर्मशाला में घुमते हुए हम पहुंचे एक बहुत ही सुन्दर और प्रदुषण मुक्त जगह। चारों और हरे भरे चाय के बागानों के बीच हम पहुंचे नारघोटा गाँव। यकीन नहीं हुआ की शहर के इतने नज़दीक होने के बाद भी इस जगह शहर का बिलकुल भी प्रभाव नहीं था। धर्मशाला के इर्द गिर्द सारे गाँव अब व्यावसायिक बन कर शहर का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन सिर्फ २ किलोमीटर की दूरी पर यह गाँव शहर से अभी भी अछूता है। 


जब गाँव के लोगों से वार्तालाप हुआ तो एक दूसरी कहानी भी सामने आई। क्यों यह गाँव आज तक विकसित नहीं पाया? क्यों यहाँ के बच्चे आज भी पैदल स्कूल जाते हैं? क्यों यहाँ पर सार्वजानिक परिवहन नहीं है आज तक? क्यों यह जगह बाहरी शराबियों और नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है? क्यों यहाँ की लड़कियां और महिलाएं अँधेरा होते ही घर से बहार नहीं निकल सकती?


मंदिर परिसर में शराब 
धर्मशाला शहर से मात्र २ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नारघोटा गांव। एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जो चारों तरफ से चीड़ के बृक्षों और चाय बागानों से घिरा है। नारघोटा एक छोटा से गांव है जहाँ लगभग 50 परिवार रहते हैं। बहुत से परिवारों के लोग या तो फौज में अपनी सेवाएं दे चुके हैं या फिर अभी भी कार्यरत हैं। कुछ किसान हैं और कुछ सरकारी नौकरियों में या फिर प्राइवेट कंपनियों में काम कर रहे हैं।
मंदिर परिसर में शराब 
बहुत ही सीधे सादे लोग सदियों से अपना जीवन यापन करते आये हैं। नारघोटा वासियों की आज तक किसी भी सरकार ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। आज तक यहाँ के बच्चे 3  किलोमीटर पैदल चल कर स्कूल जाते हैं। सड़क आज तक अधूरी है और सार्वजानिक परिवहन का नामोनिशान तक नहीं है इस गाँव में। कुछ लोगों ने कई बार यह मुद्दा उठाया भी पर किसी नेता के जून तक नहीं रेंगी। गाँव की स्थिति जस की तस बानी रही। आज भी बच्चे तीन किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर हैं। न यहाँ कोई डिस्पेंसरी है न ही कोई अन्य सुविधाएँ। कूड़ा करकट के प्रबंधन की कोई प्रणाली यहाँ नहीं है।

इन सारी समस्याओं से परेशान गाँव वासी अपने आपको असहाये और अभागी समझते है। सरकार और प्रशाशन से उन्हें अब कम ही उम्मीद है।

अब एक और मुसीबत गाँव वालों के गले पड़ गयी है। आजकल नारघोटा गांव शराबियों और नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है। शहर से थोड़ा अलग होने के कारण और चारों और जंगलों और चाय बागानों से घिरा होने से आजकल शहर के शराबियों और नशेड़ियों ने इस गांव के कुछ स्थानों को अपना अड्डा बना लिया है। नारघोटा गांव उनके लिए एक सुरक्षित ठिकाना है क्योंकि न तो कभी यहाँ पुलिस पेट्रोलिंग होती है और न ही गाँव वाले दर के कारण कुछ बोल पाते हैं।

दोपहर से ही शराबी और नशेड़ी यहाँ अपना जमघट लगा लेते हैं और यह सिलसिला आधी रात तक चलता है। क्योंकि गाँव में कोई सार्वजानिक परिवहन सेवा नहीं है ज़्यादातर बच्चों  बुजुर्गों और महिलाओं को पैदल ही इन शराबियों के ठिकानो से गुजरना पड़ता है। खासकर महिलाओं को डर के माहौल से गुज़रना पड़ता है। अँधेरा होते ही लड़कियां अपने ही गाँव के रास्तों से गुज़रने से डरती हैं।
नारघोटा जाने के लिए गाँव वासियों के लिए एक मात्र सड़क है और शाम को वहां शराबियों मवालियों और नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है।
BSNL ऑफिस से लेकर नारघोटा गांव की सड़क पर शाम को आपको शराबी और नशेड़ी मिल जायेंगे। रात तक इनकी पार्टियां चलती हैं और हो हल्ला रहता है जिससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल है

जब गांव वालो से पुछा की आप इसकी शिकायत क्यों नहीं करते तो उन्होंने जो बताया वो हैरान कर देने वाला था। उन्होंने बताया की वो कई बार अपनी समस्याओं को लेकर प्रशाशन और नेताओं से गुहार लगा चुके हैं पर उन्होंने कोई समाधान नहीं किया। यदि वो इन शराबियों और नशेड़ियों की शिकायत करेंगे तो उन्हें डर है की कहीं यह लोग इन्हे और इनके परिवार वालों को कोई नुक्सान न पहुंचा दें। डर के कारण ही यह लोग चुप चाप यह सब सहन कर रहे हैं।
जिस टैंक का पानी से गाँव वालों को पानी की जलापूर्ति होती है उसी टैंक पर बैठ कर लोग शराब पीते हैं। कई बार टैंक में शराब की बोतले और हड्डियां तक पायी गयी हैं। यह सब वो सहन करने पर मजबूर हैं क्योंकि इस तरफ न तो प्रशाशन और न ही पुलिस कोई कार्यवाही करती है।

गाँव वालों ी मांग है की उन्हें इस डर के माहौल से आज़ाद किया जाए, पुलिस इन हुड़दंगियों पर कार्यवाही करे और प्रशाशन भी इस नज़रअंदाज़ गाँव की समस्याओं का हल करे

delhiview की टीम ने जब इन नशेड़ियों के ठिकानो का दौरा किया तो गाँव वालों की हर बात में सचाई नज़र आई। जगह जगह शराब की बोतलें और कूड़ा करकट पाया गया। स्वच्छ भारत की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पहाड़ों की खूबसूरती बर्बाद हो रही है। बताया गया की पुलिस की पेट्रोलिंग कभी भी यहाँ नहीं होती। खुले आम लोग कानून का मज़ाक उड़ाते पाए गए। खुले में शराब और नशा करते दिखाई दिए। यहाँ तक की मंदिर परिसर में भी खाली शराब की बोतले देखी गयी।

क्या प्रशाशन और पुलिस कोई कार्यवाही करेगी या फिर नारघोटा नशा करने वालों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना रहेगा??


No comments: